नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024 — भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और निवेश सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज ताशकंद में एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते पर भारत की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और उज्बेकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री श्री खोदजाएव जमशिद अब्दुखाकिमोविच की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!यह नई निवेश संधि दोनों देशों के निवेशकों को व्यापक सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे उज्बेकिस्तान के निवेशकों को भारत में और भारतीय निवेशकों को उज्बेकिस्तान में निवेश के लिए उचित सुरक्षा मिलती है। यह संधि अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर निवेशकों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करती है। संधि में यह भी प्रावधान किया गया है कि विवादों के समाधान के लिए स्वतंत्र मध्यस्थता की सुविधा प्रदान की जाएगी और निवेशकों को भेदभाव से मुक्त रखा जाएगा।
इस संधि का एक मुख्य आकर्षण यह है कि यह पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देती है। इसमें निवेशों को जब्ती (expropriation) से बचाने, धन के स्वतंत्र हस्तांतरण की गारंटी देने और नुकसान की स्थिति में मुआवजा देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। हालांकि, यह संधि दोनों देशों को उनकी नीति बनाने के अधिकार को भी संरक्षित करती है, जिससे उन्हें अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा का पूरा अवसर मिलता है।
यह ऐतिहासिक समझौता दोनों देशों की साझा दृष्टि को दर्शाता है, जो उनके आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। निवेश के लिए सुरक्षित और पूर्वानुमेय वातावरण तैयार करके, यह BIT द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा, जिससे दोनों देशों के व्यावसायिक और आर्थिक क्षेत्र लाभान्वित होंगे।
BIT की प्रमुख विशेषताएं:
निवेशों को जब्ती से सुरक्षा।
निवेशकों के लिए न्यूनतम मानकों की गारंटी।
विवादों के समाधान के लिए स्वतंत्र मध्यस्थता तंत्र।
भारतीय और उज्बेक निवेशकों के लिए भेदभाव रहित व्यवहार।
निवेश नियमों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता।
राज्य के नीति निर्धारण के अधिकार की सुरक्षा।
यह विकास दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी को बढ़ाने और निवेशकों के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस संधि से दोनों देशों के व्यवसायों को नए अवसरों की खोज करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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