गरुड़ पुराण के अनुसार जीवन का सार यही है कि आप यहां पर इस पृथ्वी लोक पर जितने पाप करते हो, उसको आपको नरक में भोगना पड़ता है। आपको यहां पर बहुत सारे लोगों का दुख दूर करने के लिए भेजा गया है ताकि आप इस दुनिया में रहकर अच्छे काम कर सको, लेकिन इंसान यहां की माया में फंस कर अत्यधिक धन जोड़ने की कोशिश करता है। अत्यधिक धन और भोग विलास की सामग्रियों के कारण वह निरंतर पाप करने लगता है। अत्यधिक पाप बढ़ जाने के कारण फिर उसे मृत्यु के बाद बहुत सारी यातनाओं को सहना पड़ता है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग जैसे पाप कर्म करते हैं, उनको वैसे ही दंड का सामना करना पड़ता है। इसलिए लोगों को पाप कर्म करने से बचना चाहिए और निरंतर पुण्य कर्म करना चाहिए ताकि मृत्यु के बाद उनका जीवन एक सफल जीवन हो सके।यदि व्यक्ति निरंतर पुण्य कर्म करता है तो उसको देवलोक और देवयोनिया प्राप्त होती है। जहां वह निरंतर सुख का भोग करता है और वहां पर उसको कष्ट नहीं होता है। इसलिए लोग अपना कर्म सुधारने के लिए और अत्यधिक पुण्य अर्जित करने के लिए पृथ्वी में भेजे जाते हैं। लेकिन जो लोग यहां आकर पुण्य एकत्रित नहीं करते, फिर पाप की मात्रा बढ़ जाने पर वह नरक लोक में कई हजारों साल तक यातनाएं सहते रहते हैं।
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