राजस्थान के सांभर झील में एक बार फिर प्रवासी पक्षियों की मौत का खतरा मंडरा रहा है। साल 2019 में इसी झील में एवियन बॉटुलिज्म नामक खतरनाक बैक्टीरिया के कारण 18,000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत हो गई थी। इस बार भी स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि पिछले एक सप्ताह से सांभर और नागौर के नावा इलाके में प्रवासी पक्षियों के मरने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अब तक 100 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें एवियन बॉटुलिज्म के लक्षण मिले हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!अधिकारियों की लापरवाही और कार्रवाई का अभाव
2019 में हुई इस भीषण त्रासदी के बाद भी प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। न ही कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाई गई और न ही विशेषज्ञों द्वारा इस बीमारी की रोकथाम के लिए कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इतना ही नहीं, राज्य में अब तक ऐसी कोई प्रयोगशाला भी नहीं बनाई गई है, जहां पक्षियों से संबंधित संक्रमण की जांच और रोकथाम की जा सके। आज भी संक्रमण की जांच के लिए नमूने रायबरेली, भोपाल, और देहरादून की लैब में भेजे जाते हैं, जिससे परिणाम आने में समय लगता है और संक्रमण तेजी से फैलने का जोखिम बना रहता है।
सांभर झील में पक्षियों का महत्त्व और एवियन बॉटुलिज्म का प्रभाव
सांभर झील हर साल 2 से 3 लाख प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल बनती है, जो सर्दियों में यहाँ आते हैं। पक्षियों की इस विशाल संख्या के लिए झील एक प्रमुख आकर्षण है। झील में पाया जाने वाला कीचड़ और प्लेंकटन इनके मुख्य भोजन का स्रोत है, लेकिन एवियन बॉटुलिज्म बैक्टीरिया के कारण ये भोजन विषैला हो जाता है, जिससे पक्षियों की जान को खतरा होता है। इस संक्रमण के चलते पक्षियों में शारीरिक कमजोरी और पैरालिसिस के लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
विशेषज्ञों की चिंता और समाधान की मांग
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन और वन विभाग को इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। नियमित रूप से परीक्षण के लिए एक स्थानीय लैब की स्थापना की जानी चाहिए, ताकि संक्रमण की पहचान समय पर हो सके। इसके साथ ही वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, और वनपालों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे इस बीमारी के लक्षणों को पहचानकर समय पर कार्रवाई कर सकें।
अवश्यंभावी कदम और जागरूकता की आवश्यकता
सांभर झील की इस समस्या को देखते हुए प्रशासन को जल्दी ही एक एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए। राज्य में एक सुसज्जित लैब, अनुभवी विशेषज्ञों का दल, और संक्रमण की पहचान के लिए SOP बनाना आवश्यक है। साथ ही, स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों को भी इस मुद्दे के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि सांभर झील में हर साल आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अगर प्रशासन ने अभी भी उचित कदम नहीं उठाए, तो सांभर झील की जैव विविधता को बड़ा नुकसान हो सकता है और पक्षियों की यह त्रासदी हर साल दोहराई जा सकती है।