भूतिया बंगला


एक छोटे से गांव में एक भूतिया बंगला था। लोग कहते थे कि वहां रात को अजीब-अजीब आवाजें आती थीं। जब भी कोई उस बंगले के पास जाता, वह वहां से भाग जाता।

एक दिन, एक युवक ने तय किया कि वह उस भूतिया बंगले में रात बिताएगा। वह अपने दोस्तों को बताता था कि वह डरने वाला नहीं है।

रात के दस बजे, वह बंगले के पास पहुंचा। वहां अचानक एक आवाज आई, “कौन है?” वह दर से कांपने लगा।

बंगले के दरवाजे पर एक और आवाज आई, “तुम यहां क्यों आए हो?” वह घबराकर बोला, “मैं यहां रात बिताने आया हूँ।”

आवाज ने कहा, “अच्छा, तो तुम डरने वाले नहीं हो? तो आओ, मेरे साथ खेलो।”

वह दरवाजे को खोलकर अंदर गया। वहां एक बूढ़ी औरत बैठी थी। वह बोली, “तुम जैसे लोग हमें डराने के लिए आते हैं। अब तुम भी भूत बन गए हो।”

वह युवक डरकर बोला, “मैं यहां से जाना चाहता हूँ।”

औरत ने हंसकर कहा, “अच्छा, तो तुम डरने वाले नहीं हो? तो आओ, खेलते हैं।”

वह युवक वहां से भाग गया।  🌟

वह युवक जब अपने दोस्तों को बताने गया कि उसने भूतिया बंगले में रात बिताई, तो सब उसकी तरफ देखकर हंस पड़े। वे उसे मजाक करने लगे, “तू तो डरपोक निकला! भूतिया बंगले में तूने क्या देखा?”

युवक ने उनसे अपनी अनुभव की कहानी सुनाई। वह बताया कि बंगले के अंदर एक बूढ़ी औरत बैठी थी, जो उसे खेलने के लिए बुलाई थी। वह औरत उसे डराने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग कर रही थी।

उसके दोस्तों ने उसे हंसते हुए कहा, “तू वाक़िया में डरपोक है! वो औरत तुझे बस खेलने के लिए बुलाई थी।”

युवक ने उनसे देखकर कहा, “शायद वो औरत खेलने के लिए बुलाई थी, लेकिन उसकी आवाज़ और उसकी आंखें वाक़िया में भूतिया थीं। मैं उस बंगले के पास कभी नहीं जाऊंगा।”

उसके बाद से वह भूतिया बंगले के पास नहीं गया। उसकी यह अनूठी कहानी गांव के लोगों के बीच फिर से फैल गई।

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