रहस्यमयी कहानी: अनसुलझे सवाल (पार्ट 21)

मंदिर के ढहने के बाद का दृश्य शांत था, लेकिन अंजलि और माया का मन अभी भी भारी था। उन्हें पता था कि उन्होंने जो किया, वह सिर्फ एक शुरुआत थी।

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दोनों ने एक पास की चट्टान पर बैठकर अपनी सांसें ठीक कीं। कोहरा छंटने के साथ, आसमान में तारे झिलमिला रहे थे। यह दृश्य जितना शांतिपूर्ण लग रहा था, उतना ही उनके दिलों में सवालों का तूफान चल रहा था।

नई चुनौती का संकेत

“माया, यह आयाम था क्या? और वह artifact यहाँ क्यों था?” अंजलि ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा।

माया ने अपनी जेब से एक पुराना, मुड़ा हुआ नक्शा निकाला। “यह कोई साधारण स्थान नहीं था। यह आयाम हमारी दुनिया के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन इसे संचालित करने वाली शक्ति अभी भी हमारी पहुँच से बाहर है।”

अंजलि ने नक्शे की ओर देखा। वह किसी प्राचीन लिपि में था, जिसे वह पढ़ नहीं पा रही थी। “यह नक्शा कहाँ से आया?”

“यह मुझे मेरे दादा जी से मिला था,” माया ने बताया। “उन्होंने इसे एक खंडहर से पाया था और कहा था कि इसमें हमारी दुनिया के कई छिपे रहस्यों के जवाब हैं। लेकिन जब तक हमें इसका सही अर्थ नहीं समझ आता, तब तक हमारी लड़ाई खत्म नहीं होगी।”

अजीब संकेत

जैसे ही माया नक्शे को खोलने की कोशिश कर रही थी, आसमान में एक तेज़ रोशनी दिखाई दी। यह रोशनी किसी उल्का पिंड जैसी थी, लेकिन जब वह ज़मीन से टकराई, तो धरती में हल्का कंपन हुआ।

“वह क्या था?” अंजलि खड़ी हो गई।

“लगता है, यह हमारी अगली चुनौती का संकेत है,” माया ने गंभीरता से कहा।

दोनों ने तुरंत अपनी चीजें समेटीं और उस दिशा में बढ़ने लगीं, जहाँ रोशनी गिरी थी। यह रास्ता घने जंगल के बीच से होकर जाता था, और हर कदम पर उन्हें लगता था कि कोई उन्हें देख रहा है।

जंगल के रहस्य

जैसे ही वे जंगल में आगे बढ़ीं, उन्हें पेड़ों पर अजीब चिह्न दिखाई देने लगे। ये वही चिह्न थे, जो मंदिर की दीवारों पर भी बने थे।

“माया, क्या तुमने यह पहले देखा है?” अंजलि ने पूछा।

माया ने सिर हिलाया। “यह प्राचीन भाषा का हिस्सा है। लेकिन इसका मतलब पूरी तरह समझना मुश्किल है। लगता है, यह हमें रास्ता दिखाने के लिए बनाया गया है।”

उनके हर कदम के साथ जंगल और घना होता जा रहा था। अचानक, उन्हें एक घोड़े के खुरों की आवाज़ सुनाई दी। वे रुक गईं।

“कोई हमारी ओर आ रहा है,” माया ने फुसफुसाया।

रहस्यमयी आगंतुक

पेड़ों के बीच से एक सवार बाहर आया। उसका चेहरा हुड से ढका हुआ था, और वह एक पुराने, काले घोड़े पर सवार था।

“तुम दोनों ने उस मंदिर को नष्ट करके एक बड़ी गलती की है,” उसने गहरी आवाज़ में कहा।

“तुम कौन हो?” माया ने अपनी आवाज़ में आत्मविश्वास भरते हुए पूछा।

“मैं वह हूँ, जिसने इसे बनाया था,” उसने जवाब दिया। “और तुमने इसे खत्म करके अनजाने में उस शक्ति को मुक्त कर दिया है, जो सदियों से कैद थी। अब इसे रोकने का सिर्फ एक तरीका है—तुम्हें मेरे साथ आना होगा।”

अंजलि और माया ने एक-दूसरे की ओर देखा।

“क्या हमें उस पर भरोसा करना चाहिए?” अंजलि ने धीमे स्वर में पूछा।

“हमारे पास और कोई चारा नहीं है। अगर वह सच बोल रहा है, तो हमें इसे ठीक करने का रास्ता भी उसी के पास मिलेगा,” माया ने कहा।

आगे का सफर

दोनों ने सहमति में सिर हिलाया और सवार के पीछे चलने लगीं। घोड़े की चाल धीमी थी, लेकिन उसकी उपस्थिति से जंगल का माहौल और रहस्यमयी हो गया था।

“यह शक्ति क्या है?” माया ने चलते हुए पूछा।

सवार ने बिना पीछे मुड़े जवाब दिया, “यह शक्ति तुम्हारी दुनिया को खत्म कर सकती है। और अगर तुम इसे रोकने में असफल रहीं, तो इसका अंजाम सिर्फ तुम दोनों ही नहीं, पूरी मानवता भुगतेगी।”

अंजलि का दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़कने लगा। लेकिन इस बार डर के साथ-साथ उसके अंदर एक अजीब सा साहस भी था।

क्या वे इस अज्ञात खतरे का सामना कर पाएंगी?

(पार्ट 22 में जारी…)