रहस्यमयी कहानी: डरावनी या संदेह से भरी हुई (पार्ट 20)

अंजलि का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मंदिर की नक्काशी और उससे निकलती अजीब ऊर्जा ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन माया के कदम ठोस और दृढ़ थे। वह मंदिर की ओर बढ़ी जैसे उसे पता हो कि अंदर क्या है।

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“माया, रुको! हमें पहले सोचना चाहिए। यह जगह… यह सही नहीं लग रही,” अंजलि ने डरते हुए कहा।

माया ने पलटकर उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी। “अंजलि, हमारे पास समय नहीं है। यह जगह जिंदा है। अगर हमने देर की, तो यह हमें निगल लेगी। हमें अंदर जाकर इसका सामना करना होगा।”

अंजलि ने खुद को माया का पीछा करने के लिए मजबूर किया। जैसे ही वे मंदिर के मुख्य द्वार के पास पहुँचे, दरवाजे पर खुदी हुई आकृतियाँ अचानक जीवित होती सी लगने लगीं। वे हरकत कर रही थीं, जैसे कोई अनदेखी शक्ति उन्हें आकार दे रही हो।

मंदिर के अंदर की रहस्यमयी दुनिया

अंदर कदम रखते ही, दोनों ने खुद को एक विशाल कक्ष में पाया। छत से लटकते हुए पत्थर के दीये एक रहस्यमयी नीली रोशनी फैला रहे थे। कक्ष के बीचो-बीच एक ऊँचा मंच था, जिस पर एक अजीब आकृति रखी हुई थी।

“यह क्या है?” अंजलि ने फुसफुसाकर पूछा।

माया ने आगे बढ़ते हुए जवाब दिया, “यह एक प्राचीन artifact है। इसकी शक्ति ही इस आयाम को जिंदा रखती है। हमें इसे नष्ट करना होगा, तभी हम बाहर निकल सकते हैं।”

जैसे ही माया ने उस वस्तु को छूने की कोशिश की, कक्ष की दीवारों से अजीब परछाइयाँ निकलने लगीं। वे दोनों की ओर बढ़ने लगीं, उनके चारों ओर घेराबंदी करती हुईं।

“यह क्या हो रहा है?” अंजलि ने घबराते हुए पूछा।

माया ने पीछे मुड़कर उसकी ओर देखा, उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी। “ये इस आयाम के रक्षक हैं। हमें जल्दी करना होगा!”

अंजलि का सामना अज्ञात से

अंजलि ने डरते हुए अपनी जेब से वह छोटी चाकू निकाली, जो उसने सफर के दौरान अपने पास रखी थी। लेकिन जैसे ही उसने एक परछाईं पर वार किया, चाकू उसके अंदर से होकर गुजर गया, जैसे वह केवल धुआं हो।

“हम इन्हें लड़कर हरा नहीं सकते,” माया ने कहा। “हमें artifact को नष्ट करना होगा!”

माया ने अपनी सारी ताकत जुटाई और उस वस्तु को उठाने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, एक ज़ोरदार आवाज़ पूरे कक्ष में गूंज उठी। “तुमने इस पवित्र स्थान को अपवित्र करने की हिम्मत कैसे की?”

अंजलि और माया दोनों वहीं जम गए। कक्ष की हवा भारी हो गई, और अचानक एक विशाल छाया उनके सामने आकार लेने लगी। यह एक प्राचीन संरक्षक था, जिसकी आँखें लाल चमक रही थीं।

निर्णायक क्षण

“यह artifact इस आयाम की शक्ति का स्रोत है। इसे नष्ट करना तुम्हारे लिए असंभव है,” छाया ने गरजते हुए कहा।

माया ने अंजलि की ओर देखा, उसकी आँखों में भय और दृढ़ता का मिश्रण था। “हमें इसे रोकना होगा, चाहे जो हो जाए। अंजलि, तुम्हें artifact को उठाकर तोड़ना होगा। मैं इसे संभालने की कोशिश करती हूँ।”

अंजलि ने हिम्मत जुटाई और artifact की ओर बढ़ी। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसके चारों ओर एक अजीब सी ऊर्जा फैल गई। उसके मन में डर की जगह एक अजीब सी शांति ने ले ली।

“अंजलि, जल्दी करो!” माया चिल्लाई, छाया को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाते हुए।

अंजलि ने artifact को ज़मीन पर जोर से पटका। एक तेज़ धमाके के साथ, पूरा कक्ष हिलने लगा। छाया एक ज़ोरदार चीख के साथ गायब हो गई, और मंदिर के चारों ओर की दीवारें गिरने लगीं।

आखिरी प्रयास

“भागो, अंजलि!” माया ने चिल्लाते हुए कहा। दोनों ने जितनी जल्दी हो सके मंदिर से बाहर की ओर दौड़ लगाई। जैसे ही वे बाहर निकले, मंदिर उनके पीछे ढह गया, और उनके चारों ओर का कोहरा धीरे-धीरे गायब होने लगा।

“हम बच गए,” अंजलि ने थकी हुई आवाज़ में कहा।

माया ने उसकी ओर देखा, मुस्कुराते हुए कहा, “हमने इस आयाम को खत्म कर दिया। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। हमें यह जानना होगा कि यह आयाम कैसे अस्तित्व में आया और इसे कौन चला रहा था।”

अंजलि ने दूर क्षितिज की ओर देखा, जहाँ उन्हें अपने सवालों के जवाब मिलने थे। कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी।

(पार्ट 21 में जारी…)