एक ऐसा तरीका जिससे दुख हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।

जीवन में दुख का कारण गरीबी नहीं है। दुख का कारण है। हमारा अपर्याप्त इच्छा होना यदि हमारी बहुत ज्यादा इच्छा है और उसकी पूर्ति नहीं हो पाती तो यह भी दुख का कारण है। दुख ऐसे लोगों को भी है जिनके पास बहुत सारा पैसा है, लेकिन फिर भी वह सुखी नहीं है। कारण क्योंकि उनकी इच्छा है कि वह और अधिक धन कमाए जिनके पास बहुत ज्यादा धन है तो उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। स्वास्थ्य ना ठीक होने के कारण उनके पास भी दुख है। दुख एक ऐसा विषय है जो किसी एक परिपाटी पर तौला नहीं जा सकता। दुख हर व्यक्ति के जीवन में रहता ही रहता है। कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि लोग सुख का अनुभव करते हैं, लेकिन बावजूद इसके फिर कुछ दिन बाद दुख आता ही है। इस संसार का नाम ही दुखालय है और यहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दुख ही दुख मिलना संभव है। लेकिन एक कारण है जिसकी वजह से दुख नहीं मिलता है। उसको कहते हैं संतोष , संतोष ही एक ऐसी पूंजी है जिसके आ जाने पर दुख का नाश हो जाता है। यदि व्यक्ति अपनी जिस परिस्थिति में है इस परिस्थिति में अपने आप को संतोष महसूस कर तो फिर दुख का  लोप हो जाता है। इसके बाद उस व्यक्ति के पास दुख बचता ही नहीं है। इसलिए संतोष का हमारे जीवन में बहुत अहम रोल है। इसलिए अगर हम गरीब हैं, हमारी स्थिति खराब है, लेकिन हमारे पास जितना भी है उतने में हम संतोष रखें तो फिर हमें दुख नहीं होगा। दूसरा पहलू देखें। अगर हम बहुत अमीर हैं। अमीर होने के बाद फिर भी हम बहुत सारी इच्छाओं को जन्म देते हैं। अगर हम उन इच्छाओं को खत्म कर दें तो भी दुख हमारे पास से खत्म हो जाता है। अंतत हम यह कह सकते हैं, दुख का मूल कारण इच्छा है। वह भी अत्यधिक इच्छा जब हम अत्यधिक इच्छा से वशीभूत होकर जीते हैं तो दुख ही दुख जीवन में मिलता है।

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