पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है, जहां सूचना और प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तारड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), पर हिंसा और अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। अताउल्लाह ने कहा कि PTI के प्रदर्शन कभी भी शांतिपूर्ण नहीं रहे और इनका मुख्य उद्देश्य देश में अशांति फैलाना है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!PTI पर हिंसा के आरोप
अताउल्लाह तारड़ ने 26 नवंबर, 2024 को इस्लामाबाद में हुए PTI के प्रदर्शन को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन में PTI के कार्यकर्ता उन्नत हथियार, स्टेन गन, आंसू गैस और ग्रेनेड लेकर शामिल हुए थे। उन्होंने इस दिन और 9 मई, 2023 को पाकिस्तान के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक बताया।
मंत्री ने कहा, “PTI का मकसद देश में हिंसा और अव्यवस्था फैलाना है। उनकी राजनीति केवल अराजकता पर आधारित है। यह पार्टी अशांति को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।”
इमरान खान का पलटवार
इमरान खान, जो इस समय जेल में बंद हैं, ने इन आरोपों को खारिज करते हुए सरकार पर पलटवार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए सरकार पर देश को जातीय आधार पर बांटने का आरोप लगाया।
इमरान ने लिखा, “सरकार पख्तून समुदाय को निशाना बनाकर देश में फूट डालने की कोशिश कर रही है। हमें इस ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। हम सभी पहले पाकिस्तानी हैं।”
इसके अलावा, इमरान खान ने सरकार को चेतावनी देते हुए नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की धमकी दी। उन्होंने अपनी दो प्रमुख मांगों को सामने रखा:
1. 9 मई, 2023 और 26 नवंबर, 2024 की घटनाओं की जांच सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों की अध्यक्षता में कराई जाए।
2. PTI के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए, जिन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है।
पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति
सरकार और PTI के बीच बढ़ती खाई पाकिस्तान के राजनीतिक भविष्य के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर रही है। एक ओर, सरकार PTI पर हिंसा और अराजकता का आरोप लगा रही है, तो दूसरी ओर PTI सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने और विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगा रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस राजनीतिक संघर्ष से देश में विभाजन और गहराएगा। हिंसा की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार पक्षों को न्याय के दायरे में लाने की मांग तेज हो रही है।
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति के समाधान के लिए राजनीतिक दलों के बीच संवाद और सहमति आवश्यक है। यदि इस संघर्ष को रोका नहीं गया, तो यह देश की स्थिरता और लोकतांत्रिक व्यवस्था को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।